जबलपुर/मण्डला और कैचमेंट एरिया के जंगली इलाके में पिछले 24 घण्टों में 2 इंच से ज्यादा बारिश हुई जिसका असर यह हुआ है कि बरगी बाँध के गेटों को फिर से खोलना पड़ा।
शुक्रवार को मण्डला एरिया में दो इंच के करीब बरसात हुई जिसके बाद शाम 6 बजे 3 गेट और रात 9 बजे 2 और गेट खोले गये। इस तरह अब 5 गेटों से बरगी बाँध से पानी छोड़ा जा रहा है।
*बारिश का असर:मण्डला में हुई बारिश का असर,*
*गेटों को आधा-आधा मीटर की सीमा तक खोलकर 400, पाॅवर जनरेशन के बाद 200 इस तरह कुल 600 घनमीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से पानी छोड़ा जा रहा है। बाँध में इतनी ही रफ्तार से पानी आ रहा है। संभव है कि जाे बारिश हुई है उससे बाँध में पानी आने की रफ्तार और बढ़े और शनिवार को और गेट खोले जा सकते हैं। लौटते हुये मानसून से इस बार ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है।*
कई सालों से ऐसा हो रहा है कि मानसून की अधिकृत विदाई कैचमेंट एरिया में 30 सितंबर तक न होकर अक्टूबर मध्य तक होती है, जिससे ज्यादा समय तक गेट खोलना पड़ते हैं। वैसे बरगी बाँध का मानसून सीजन 15 अक्टूबर तक माना जाता है, क्योंकि यहाँ पर बारिश थमने के बाद भी पानी आता रहता है। बाँध का जल प्रबंध देखने वाले राजाराम रोहित के अनुसार कैचमेंट एरिया से बाँध में पानी आने की रफ्तार आगे बढ़ सकती है। बाँध से पानी छोड़े जाने के बाद नर्मदा के घाटों पर जलस्तर भी एक बार फिर से बढ़ सकता है।
शुक्रवार को मण्डला एरिया में दो इंच के करीब बरसात हुई जिसके बाद शाम 6 बजे 3 गेट और रात 9 बजे 2 और गेट खोले गये। इस तरह अब 5 गेटों से बरगी बाँध से पानी छोड़ा जा रहा है।
*बारिश का असर:मण्डला में हुई बारिश का असर,*
*गेटों को आधा-आधा मीटर की सीमा तक खोलकर 400, पाॅवर जनरेशन के बाद 200 इस तरह कुल 600 घनमीटर प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से पानी छोड़ा जा रहा है। बाँध में इतनी ही रफ्तार से पानी आ रहा है। संभव है कि जाे बारिश हुई है उससे बाँध में पानी आने की रफ्तार और बढ़े और शनिवार को और गेट खोले जा सकते हैं। लौटते हुये मानसून से इस बार ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है।*
कई सालों से ऐसा हो रहा है कि मानसून की अधिकृत विदाई कैचमेंट एरिया में 30 सितंबर तक न होकर अक्टूबर मध्य तक होती है, जिससे ज्यादा समय तक गेट खोलना पड़ते हैं। वैसे बरगी बाँध का मानसून सीजन 15 अक्टूबर तक माना जाता है, क्योंकि यहाँ पर बारिश थमने के बाद भी पानी आता रहता है। बाँध का जल प्रबंध देखने वाले राजाराम रोहित के अनुसार कैचमेंट एरिया से बाँध में पानी आने की रफ्तार आगे बढ़ सकती है। बाँध से पानी छोड़े जाने के बाद नर्मदा के घाटों पर जलस्तर भी एक बार फिर से बढ़ सकता है।